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पूछो अगर तो करते हैं

*पूछो अगर तो करते हैं, इंकार सब के सब*
*सच ये कि हैं हयात से, बेज़ार सब के सब* 

*अपनी ख़बर किसी को नहीं, फिर भी जाने क्यूँ* 
*पढ़ते हैं रोज़ शहर में, अख़बार सब के सब* 

*था एक मैं जो शर्त-ए-वफ़ा, तोड़ता रहा* 
*हालाँकि बा-वफ़ा थे मिरे, यार सब के सब*

*सोचो तो नफ़रतों का, ज़ख़ीरा है एक दिल*
*करते हैं यूँ तो प्यार का, इज़हार सब के सब* 

*मैदान-ए-जंग आने से, पहले पलट गए*
*निकले थे ले के हाथ में, तलवार सब के सब*

*तारिक़ अज़ीम 'तनहा'*

हयात=ज़िंदगी, जीवन
बेज़ार=परेशान
शर्त-ए-वफ़ा=निष्ठा या साथ निभाने की शर्त
बा-वफ़ा=वफ़ादार, सच्चा, विश्वाशी
ज़ख़ीरा=कोष, भंडार, जमा किया हुआ

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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

24-May-2022 02:09 PM

बेहतरीन

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Gunjan Kamal

24-May-2022 09:55 AM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

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